एक ट्रांसफार्मर में पूर्ण लोड पर 400 W लौह हानि होती है। आधे लोड पर लौह हानि क्या है?

एक ट्रांसफार्मर में पूर्ण लोड पर 400 W लौह हानि होती है। आधे लोड पर लौह हानि क्या है?

Right Answer is:

400 W

SOLUTION

ट्रांसफार्मर के लोहे के कोर में होने वाली हानि को लौह हानि या कोर हानि कहते हैं। यह हानि लोड (यानी ट्रांसफार्मर पर कितना भार डाला गया है) पर निर्भर नहीं करती, बल्कि कोर के पदार्थ और ट्रांसफार्मर के डिज़ाइन पर निर्भर करती है।

लौह हानि दो प्रकार की होती है:

  1. हिस्टेरेसिस हानि (Hysteresis Loss): यह हानि कोर के पदार्थ के चुम्बकीय गुणों के कारण होती है। जब प्रत्यावर्ती धारा (alternating current) ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में प्रवाहित होती है, तो कोर बार-बार चुम्बकित और विचुम्बकित होता है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा की कुछ मात्रा ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है, जिसे हिस्टेरेसिस हानि कहते हैं।

  2. भंवर धारा हानि (Eddy Current Loss): जब कोर में परिवर्तित चुम्बकीय क्षेत्र बनता है, तो कोर में ही छोटी-छोटी धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिन्हें भंवर धाराएँ कहते हैं। ये धाराएँ कोर के प्रतिरोध के कारण ऊष्मा उत्पन्न करती हैं, जिससे ऊर्जा की हानि होती है। इसे भंवर धारा हानि कहते हैं।

दिया गया डेटा:

  • पूर्ण भार पर लौह हानि = 400 W

प्रश्न में दिया गया है कि पूर्ण भार पर लौह हानि 400 वाट है। चूंकि लौह हानि लोड पर निर्भर नहीं करती, इसलिए आधे भार पर भी यह हानि उतनी ही, यानी 400 वाट ही रहेगी।

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